Monday, 7 March 2022

Hawaizaada मूवी समीक्षा : भारत का हवाई सफर

दिल ए नादान तुझे हुआ क्या है,
आखिर इस दर्द की दवा क्या है, 
हम है मुश्ताक और वो बे ज़ार, 
या इलाही ये माजरा क्या है...
कल यूहीं बैठे बैठे मिर्ज़ा गालिब साहब की ये ग़जल याद आई तो बरबस ही गूगल पर सर्च कर डाला और जो परिणाम सामने आए वो बेहद ही चौंकाने वाले थे आयुष्मान खुराना ने किसी Hawaizaada मूवी में इस ग़जल को गाया है, गाने के साथ साथ मूवी का टाईटल देखा तो और माथा ठनका फिर सोचा क्यों न आज ये मूवी देखी जाए, बस फिर हो गए शुरू....
चलो अब मूवी पर आते है
साल 2015 के आखिर में रिलीज हुई ये मूवी अपने अंदर बहुत सारा इतिहास और वैदिक शास्त्र समेटे हुए है, साथ ही ये मूवी आपको वैश्विक एवम भारतीय विमान निर्माण के इतिहास को समझने का दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करती है, वैसे शुरुआत के 10 मिनट शायद आप बोर भी हो सकते हो लेकिन मूवी के पात्रों को समझने के लिए देखना जरूरी होगा।
शिवकर बापू जी तलपड़े शायद आपने ये नाम सुना हो मैंने इस मूवी से पहले ये नाम नहीं सुना था, शिवकर बापू जी तलपड़े भारतीय विद्वान थे जिन्होंने सबसे पहले मानव रहित विमान का निर्माण किया है, हवाई जहाज का जनक चाहे राइट बंधु को माना गया हो लेकिन शिवकर बापू ने राइट बंधु से 8 साल पहले इस तरह का विमान निर्माण कर लिया था जो जुहू बीच पर लगभग 1500 फीट की ऊंचाई तक उड़ा था, उनके विमान बनाने की घटना पर आधारित इस मूवी में विमान बनाने के शास्त्रीय ज्ञान के साथ साथ कालिदास कृत अभिज्ञान शकुंतलम के नाटक को भी दिखाया गया है।
शिवकर बापू के गुरु के रूप में मिथुन चक्रवर्ती उर्फ शास्त्री जी का किरदार काबिल ए तारीफ है, मूवी में उनके पास बताई गई विमान शास्त्र की किताब महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित प्राचीन भारतीय विमान शास्त्र ही है ऐसा मेरा और दर्शकों का भी अनुमान रहेगा, शिवकर के किरदार के साथ आयुष्मान खुराना पूर्णरूप से न्याय करते नजर आते है, भारतीय मूल की ऑस्ट्रेलियाई अभिनेत्री पल्लवी शारदा ने अपने संवाद से अलग की जान फूंकी है
"प्यार में डूबा हुआ आदमी अपनी औकात से ज्यादा काम कर जाता है"
बड़ौदा महाराज द्वारा अंग्रेज गुलामी में भी भारतीयों की मदद करते रहना और साथ साथ ही शिवकर के साथी खान द्वारा शिवकर बापू को मदद, ये मूवी के वो अहम हिस्से है जिन पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, एक हिस्सा गुलाम राजा में स्वाधीनता की ललक को दिखाता है और दूसरा हिस्सा हिंदू मुस्लिम एकता को प्रदर्शित करता है
मूवी में लोकमान्य तिलक द्वारा शुरू किए गए गणेश महोत्सव को भी दिखाया गया है।
अंग्रेजी सत्ता के समय की ये कहानी शायद अब सोचने या देखने पर थोड़ी सी बचकानी लगे लेकिन खुद को उस समय के अनुसार डाल कर देखने पर भारतीय इतिहास को गौर से समझने पर विवश कर देती है,
समर्पण इस मूवी की आत्मा है जो शास्त्री जी, शिवी और सितारा को एक सूत्र में पिरोए रखती है।
मूवी सत्य घटना पर आधारित है या नहीं, इसके बारे में मेरे विचार शून्य है लेकिन शिवकर बापू जी के भारतीय विमान बनाने के दावे से इंकार नहीं किया जा सकता है
निर्देशक विभु पूरी जी ने मूवी को उच्च संवाद और शालीनता के साथ बनाया है, मिर्जा गालिब साहब की ग़जल के साथ डाक टिकट वाले गाने ने अपना जादू बिखेरा है, उड़ जायेगा हंस अकेला गाना मूवी के मार्मिक दर्द को बयां करता है।
2 घंटे 9 मिनट की मूवी से इतिहास के साथ साथ वैज्ञानिक दर्शन और मार्मिक संवाद का मिश्रण शायद पहली बार देखने को मिलता है। 
                            वंदे मातरम् ।



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